Digital Dictionaries of South Asia
Paia-sadda-mahannavo.
  
   अवर avara [अपर] १ पिछला काल या देश (महा) २ पिछले काल या देश में रहा हुआ, पाश्चात्य (सम १३; महा) ३ पश्चिम दिशा में स्थित, 'अवरद्दारेणं' (स ६४६)। °कंका स्त्री [°कङ्का] १ घातकी-खंड के भरतक्षेत्र की एक राजधानी। २ इस नाम के 'ज्ञातधर्म- कथा' सुत्र का एक अव्ययन (णाया १, १६)। °ण्ह पुं [°ह्रि] १ दिन का अन्तिम प्रहर ठा ४, २)। २ दिन का उत्तरी भाग (आचू १; गा २९९; प्रासू ५४)। °दाहिण पुं [°दाक्षण] १ नैऋत्य कोण। २ वि. नैऋत्य जागा में स्थित (पंचा २)। °दाहिणा स्त्री [°दक्षिणा] पश्चिम और दक्षिण दिशा के बीच की दिशा, नैऋत कोण (वव ७)। °फाणु स्त्री [°पार्ष्ण] एड़ी, अड्डी का पिछला भाग; (वव ८)। °राय पुं [°रात्र] देखो अवरत्त= अपरराव; (आचा)। °विदेह पुं [°विदेह] महाविदेह नामक वर्ष का पश्चिम भाग (ठा २, ३ पडि)। °विदेहकूड न [°विदेहकूट] पर्वत-विशेष का शिखर-विशेष (जं ४)। देखो अपर।
   अवर avara [अवर] ऊपर देखो (महा ; णाया १, १६ वव ७; पंचा २)
   अवरमुद्द avaramudda वि [अपराङ् मुख] १ संमुख। २ तत्पर (पि २६९)
   अवगच्छ avagaccha देखो अपरच्छ (पणह १, ३)
   अवरज्ज avarajja पुं [दे] १ गत दिन। २ आगामी दिन। ३ प्रभात, सुबह (दे १, ५६)
   अवरज्झ avarajjha अक [अप + राध्] १ अपराध करना, गुनाह करना। २ नष्ट होना। अव- रज्झइ (महा ; उव)। वकृ. अवरज्झंत (राज)
   अवरत्त avaratta पुं [अपररात्र, अवररात्र] रात्रि का पिछला भाग (भग; णाया १, १)
   अवरत्त avaratta वि [अपरक्त] १ विरक्त, उदास (उव पृ ३०८) २ नाराज, नाखुश (मुद्रा २६७)
   अवरत्तअ avarattaa, अवरत्तेअ avarattēa } पुं [दे] पश्चाताप, अनुताप (दे १, ४५; पाअ)
   अवरदक्खिणा avaradakkhiṇā देखो अवर-दाहिणा (पव १०६)
   अवरद्ध avaraddha [अपराद्ध] १ अपराध, गुनाह (सुर २, १२१) २ वि. जिसने अपराध किया हो वह, अपराधी; 'सगडे दारए ममं अतेउंरसि अवरद्धे' (विपा १, ४; स २८) ३ विना- शित, नष्ट किया हुआ (णाया १, १)
   अवरद्धिग avaraddhiga वि [अपराधिक] १ अपराधी, दोषी। २ पुं. लूता-स्फोट। ३ सर्पादि-दंश (पिंड १४)
   अवरद्धिग avaraddhiga, अवरद्धिय avaraddhiya } पुंस्त्री [अपराधिक] १ सर्प- दंश। २ फुनसी, छोटा फोड़ा (ओघ ३४१; पिंड)
   अवरा avarā स्त्री [अपरा] विदेहवर्षं की एक नगरी (ठा २, ३)
   अवरा avarā स्त्री [अपरा] पश्चिम दिशा (पव १०६)
   अवराइया avarāiyā देखो अपराइया (पउम २५, १; जं ४; ठा २, ३)
   अवराइस avarāisa देखो अण्णाइस (षड्; हे ४, ४१३)
   अवराजिय avarājiya देखो अपराइय (इक)
   अवराजिया avarājiyā देखो अपराइया (इक)
   अवराह avarāha पुं [अपराध] १ अपराध, गुनाह (आव १) २ अनिष्ट, बुराई; 'अवराहेसु गुणेसु य निमित्तमेत्तं परो होइ' (प्रासू १२२)
   अवराह avarāha पुं [दे] कटी, कमर (दे १, २८)
   अवराहिय avarāhiya [अपराधित] १ अपराध, गुनाह; 'जंपइ जणो महल्लं कस्सवि अवराहियं जायं' (पउम ९४, २५; स ३२०) २ अप- कार, अनिष्ट अङित; 'सिरि चडिआ खंति प्फलइं, पुणु डालइं मोडति। तोवि महद्‍दुम सउणाहं, अवराहिउ न करंति' (हे ४, ४४५)
   अवराहिल्ल avarāhilla वि [अपराधिन्] अपराधी (प्राकृ ५०)
   अवराहुत्त avarāhutta वि [अपराभिमुख] १ पराङ्- मुख। २ पश्चिम दिशा की तरफ मुँह किया हुआ (आव ४)
   अवरि avari, अवरिं avarim } [उपरि] ऊपर (दे १, २६; प्राप्त)
   अवरिक्क avarikka वि [दे] अवसररहित, अनसवर (दे १, २०)
   अवरिगलिअ avarigalia वि [अपरिगलित] पूर्ण, भरपूर (से ११, ८८)
   अवरिज्ज avarijja वि [दे] अद्वितीय, असाधारण (दे १, ३६; षड्)
   अवरिल्ल avarilla वि [उपरि] उत्तरीय वस्त्र, चादर (हे २, १६६; कुमा; गउड; पाअ)
   अवरिल्ल avarilla वि [अपरीय] पाश्चात्य, पश्चिम दिशा संबन्धी, 'तो णं तुब्भे अवरिल्लं वणसंडं गच्छे- ज्जाह' (णाया १, ९)
   अवरिहड्‍ढपुसण avarihaḍḍhapusaṇa [दे] १ अकीर्त्ति, अजस। २ असत्य, झुठ। ३ दान (दे १, ६०)
   अवरुंड avaruṇḍa सक [दे] आलिङ्गन करना। अवरुंडइ (दे १, ११; सुर ३, १८२; भवि)। कर्मं. अव- रंडिज्जइ (दे १, ११)। संकृ. अवरुडिऊण (दे १, ११; स ४२१)
   अवरुंडण avaruṇḍaṇa, अवरंडिअ avaraṇḍia } [दे] आलिङ्गन, (भवि; पाअ; दे १, ११)
   अवरुत्तर avaruttara पुं [अपरोत्तर] १ वायय्य कोण। २ वि. वायव्य कोण में स्थित (भग)
   अवरुत्तरा avaruttarā स्त्री [अपरोत्तरा] वायव्य दिशा, पश्‍चिम और उत्तर के बीच की दिशा (वव ७)
   अवरुद्ध avaruddha वि [अवरुद्ध] घिरा हुआ (विसे २९७५)
   अवरुप्पर avaruppara देखो अवरोप्पर (कुमा; रंभा)
   अवरुह avaruha अक [अव + रुह्] नीचे उतरना। अवरुहेहि (मै १४)
   अवरूव avarūva देखो अपुव्व (प्राकृ ८५)
   अवरोप्पर avarōppara, अवरोवर avarōvara } वि [परस्पर] आपस में (हे ४, ४०९; गउड; सुपा २२; सुर ३, ७६; षड्)
   अवरोह avarōha पुं [अवरोध] १ अन्तःपुर, जनान- खाना (सुपा ९३) २ अन्तःपुर में रहनेवाली स्त्री (विपा १, ४) ३ नगर को सैन्य से घेरना (निचू ८) ४ संक्षेप (विसे ३५५५)। ५ प्रतिबन्ध, 'कहँ सव्वत्थित्तावरोहोत्ति' (विसे १७२३)। °जुवइ स्त्री [°युवति] अन्तःपुर की स्त्री (पि ३८७)
   अवरोह avarōha पुं [अवरोह] उगनेवाला (तृण आदि) (गउड)
   अवरोह avarōha पुं [दे] कटि, कमर (दे १, २८)